जैन धर्म के नाम
1. निर्ग्रन्थ-धर्म : ग्रंथी रहित यानि दिगम्बर मुनियों का धर्म ।
सम्राट अशोक के शिलालेखों में वर्णन आता है ।
2. अर्हत्-धर्म : अरिहंत भगवान द्वारा प्रतिपादित, उनके शिष्यों का धर्म ।
3. श्रमण-धर्म : मोक्ष के लिये जो श्रम करे, ऐसे दिगम्बर गुरुओं का धर्म ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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जिन्होने काम,मोह आदि विकारों को जीत लिया है वे जिन या जिनेन्द्र कहलाते हैं। जैन धर्म का मूल आधार अंहिसा है। अतः उक्त कथन सत्य है कि जैन धर्म के नाम दिए गए हैं।1 निर्ग़न्थ धर्म 2 अर्हंन्त धर्म 3 श्रमण धर्म। अतः श्रमण धर्म का पालन करते हुए निर्गन्थ धर्म यानी दिगम्बर मुनियों का धर्म कहते हैं।जो मोक्ष प्राप्ति के लिए आत्मा से परमात्मा बनते हैं,जिनको अर्हंन्त और सिद्व भगवान् कहते हैं। अतः जैन धर्म सम्यग्दर्शन,सम्यग्ज्ञान और सम्यकचारित्र का पालन करते हैं।
“उनके शिष्यों का धर्म” se hum kya samjhein?
अरिहंत भगवान ने जो धर्म बताया, उनके शिष्यों (श्रावक/श्रमण) ने उस पर चलकर उसे आगे चलाया/ उसकी प्रभावना की ।
Okay.