ज्ञान और धर्म
ज्ञान पूर्ण नहीं तो धर्म को भी अपूर्ण मानें ?
ज्ञान अभिव्यक्ति है इसलिये अपूर्ण, धर्म अनुभूति है इसलिये पूर्ण ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
ज्ञान पूर्ण नहीं तो धर्म को भी अपूर्ण मानें ?
ज्ञान अभिव्यक्ति है इसलिये अपूर्ण, धर्म अनुभूति है इसलिये पूर्ण ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
One Response
ज्ञान दो तरह का होता है १)लौकिक २)आध्यात्मिक लेकिन जब तक उसका उपयोग नहीं करेंगे तब तक ज्ञान का कोई महत्व नहीं होगा। जब धम॓ से जुडता है तब अनुभूति होती है तब कल्याण का मार्ग प़ाप्त होने लगता है। इसलिए ज्ञान अभिव्यक्ति है जो अपूर्ण रहता है और धम॓ की अनुभूति होती है उसे पूण॓ माना जाता है।