ज्ञान
धन होने पर धनी कहलाते हैं, ज्ञान होने पर ज्ञानी !
पर ज्ञान तो कीड़े मकोड़ों को भी होता है ?
उनका ज्ञान गुजारे भर के लिये होता, जीवन निर्माण के लिये नहीं ।
पहले ज्ञानी बनो, फिर उसका चिंतन करो, तब अनुभूति होगी ।
मुनि श्री समयसागर जी
धन होने पर धनी कहलाते हैं, ज्ञान होने पर ज्ञानी !
पर ज्ञान तो कीड़े मकोड़ों को भी होता है ?
उनका ज्ञान गुजारे भर के लिये होता, जीवन निर्माण के लिये नहीं ।
पहले ज्ञानी बनो, फिर उसका चिंतन करो, तब अनुभूति होगी ।
मुनि श्री समयसागर जी
One Response
ज्ञान तो किसी भी क्षेत्र में लेते हैं लेकिन जब तक चिंतन और अनुभव नहीं करते हैं तब तक उस ज्ञान का कोई महत्व नहीं होगा। एक बार एक विद्वान आचाय॓ श्री विधासागर के पास गया तब उसने बताया कि समयसार को 100 बार पढ लिया है। उस समय महाराज ने बताया कि उन्होंने सिर्फ एक बार पढा है तभी इस वेश में हूं। अतः ज्ञानी बनने के बाद चिंतन एवं अनुभव करने के बाद ही उसकी उपयोगिता है। अज्ञानी भी अपने अनुभव से बडे बडे कायॅ करने में समर्थ हो जाते हैं ।