मोक्षमार्ग में अधिक ज्ञान कि नहीं,
बल्कि पर्याप्त ज्ञान की आवश्यकता है,
और पर्याप्त ज्ञान है – तीन गुप्ति, पांच समिति का ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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One Response
गुप्ति का मतलब संसार के कारण भूत रागादि से जो आत्मा की रक्षा करे उसे कहते हैं,यह तीन प्रकार की होती हैं मनोगुति,वचनगुप्ति और कायगुप्ति ।
समिति का मतलब प्राणियों को पीड़ा न पहुंचे ऐसा विचार कर दयाभाव से सावधानी पूर्वक सभी प़वृति करना होती है,यह पांच समिति होती है। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि मोक्ष मार्ग में अधिक ज्ञान की नहीं बल्कि प्रर्याप्त ज्ञान की आवश्यकता है। अतः प्रर्याप्त ज्ञान का मतलब तीन गुप्ति और पांच समिति का पालन करना आवश्यक है।
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गुप्ति का मतलब संसार के कारण भूत रागादि से जो आत्मा की रक्षा करे उसे कहते हैं,यह तीन प्रकार की होती हैं मनोगुति,वचनगुप्ति और कायगुप्ति ।
समिति का मतलब प्राणियों को पीड़ा न पहुंचे ऐसा विचार कर दयाभाव से सावधानी पूर्वक सभी प़वृति करना होती है,यह पांच समिति होती है। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि मोक्ष मार्ग में अधिक ज्ञान की नहीं बल्कि प्रर्याप्त ज्ञान की आवश्यकता है। अतः प्रर्याप्त ज्ञान का मतलब तीन गुप्ति और पांच समिति का पालन करना आवश्यक है।