मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने ज्ञान का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः ज्ञान प़ाप्त करने पर उसका सदफयोग करना परम आवश्यक है। Reply
1) ज्ञान का स्वभाव है…दूसरों को बताने की आकुलता। 2) जानने वाला ज्ञायक। ज्ञाता दृष्टा बन कर बस जानना। Reply
7 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने ज्ञान का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः ज्ञान प़ाप्त करने पर उसका सदफयोग करना परम आवश्यक है।
1) ‘ज्ञान’ आकुलता kaise देता है ?
2) ‘ज्ञायक’ ka kya meaning hai, please ?
1) ज्ञान का स्वभाव है…दूसरों को बताने की आकुलता।
2) जानने वाला ज्ञायक। ज्ञाता दृष्टा बन कर बस जानना।
Okay.
That means ‘ज्ञायक’ me aatma(chetan)ki aur ‘ज्ञानी’ me shareer(jad)ki baat ho rahi hai, na ?
ज्ञायक = आत्मा के स्वभाव में रहने वाला।
ज्ञानी = Knowledge रखने वाला।
It is now clear to me.