7वें गुणस्थान के ऊपर णमोकार स्तवन नहीं,
णमोकार का स्तवन शुभोपयोग में होता है,
शुद्धोपयोग में बीजाक्षरों का, जो केवलज्ञान में निमित्त बनते हैं।
श्रावकों के लिए णमोकार विशेष मंगलकारी है।
मुनि श्री सुधासागर जी
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शुभोपयोग का मतलब दया, दान, पूजा,व़त और शील करने वाले को कहते हैं, जबकि शुद्वोपयोग का तात्पर्य रागदि विकल्पों रहित आत्मा की निश्छल दशा को कहते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि 7 वें गुणस्थान के ऊपर णमोकार मंत्र का स्तवन की आवश्यकता नहीं होता है। णमोकार मंत्र का स्तवन शुभोपयोग में होता है, जबकि शुद्वोपयोग में बीजाक्षर का उपयोग,जो केवल ज्ञान में निमित्त बनता है, जबकि श्रावकों के लिए णमोकार मंत्र मंगलकारी होता है।
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शुभोपयोग का मतलब दया, दान, पूजा,व़त और शील करने वाले को कहते हैं, जबकि शुद्वोपयोग का तात्पर्य रागदि विकल्पों रहित आत्मा की निश्छल दशा को कहते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि 7 वें गुणस्थान के ऊपर णमोकार मंत्र का स्तवन की आवश्यकता नहीं होता है। णमोकार मंत्र का स्तवन शुभोपयोग में होता है, जबकि शुद्वोपयोग में बीजाक्षर का उपयोग,जो केवल ज्ञान में निमित्त बनता है, जबकि श्रावकों के लिए णमोकार मंत्र मंगलकारी होता है।