तप

पानी को थोड़ा गर्म करो तो मर्यादा 6 घंटे की,
ज्यादा गर्म करो तो 24 घंटे की,
यानि तप ज्यादा तो विशुद्धता ज्यादा ।

लालमणी भाई

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2 Responses

  1. तप का मतलब इच्छाओं का निरोध है,तप के द्वारा कर्मों की निर्जरा होती है। तप करने का उद्देश्य भी यही है। यह भी दो प्रकार के होते हैं ,बाह्म और अभयन्तर। इसमें उपवास आदि तप के लिए करते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि पानी को थोड़ा गर्म करने पर उसकी मर्यादा छह घण्टे होती है, जबकि ज्यादा गर्म करने पर 24 घंटे की होती है यानी तप ज्यादा तो विशुद्वता अधिक रहती है।
    अतः जीवन में जितना अधिक तप यानी उपवास आदि करेंगे तो जीवन में विशुद्वता बढ़ती है एवं कर्मों की निर्जरा होती रहती है।

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