मंदिर जाने की इच्छा का निरोध कर रहे हों तो ?
निवृत्ति को तप कहें ?
वैयावृत्ति को ?
सो सही परिभाषा बनेगी – कर्म निर्जरा हेतु, इच्छाओं का निरोध करना तप है ।
आर्यिका श्री विज्ञानमती जी
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तप का तात्पर्य इच्छाओं का निरोध करना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि चाहे मन्दिर जाना हो या वैयावृति करना है यह सभी कर्म निर्जरा हेतु होते हैं, इच्छाओं का निरोध करना तप है।
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तप का तात्पर्य इच्छाओं का निरोध करना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि चाहे मन्दिर जाना हो या वैयावृति करना है यह सभी कर्म निर्जरा हेतु होते हैं, इच्छाओं का निरोध करना तप है।