तकॅ कभी भी किया जावे तो उसमें सत्याता होनी चाहिए। सत्यता न होने पर कुतर्क में बदल जाता है। यदि किसी व्यक्ति को तकॅ अच्छा नहीं लगे तो आपको कभी भी उनसे बहस नहीं करना चाहिए। Reply
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Suresh chandra jain
Satya tarka se nahin mitega, satya to satya hee rahega.
तकॅ कभी भी किया जावे तो उसमें सत्याता होनी चाहिए। सत्यता न होने पर कुतर्क में बदल जाता है। यदि किसी व्यक्ति को तकॅ अच्छा नहीं लगे तो आपको कभी भी उनसे बहस नहीं करना चाहिए।