सब को शौक है, दरारों से झांकने का;
दरवाजा खोल दो तो कोई हाल तक नहीं पूछता..!
(सुरेश)
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3 Responses
यह कथन सत्य है कि आजकल सबको शौक है दरारों में झाकने का यानी सभी की बुराईया देखने की रहती है लेकिन दरवाजा खोल देने पर कोई झाकता नहीं है यानी किसी की अच्छाई देखने का प़यत्न नही करते हैं।
(जिनका जीवन खुली किताब होता है जैसे साधु,उनके जीवन में ताक-झांक नहीं होती )
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यह कथन सत्य है कि आजकल सबको शौक है दरारों में झाकने का यानी सभी की बुराईया देखने की रहती है लेकिन दरवाजा खोल देने पर कोई झाकता नहीं है यानी किसी की अच्छाई देखने का प़यत्न नही करते हैं।
(जिनका जीवन खुली किताब होता है जैसे साधु,उनके जीवन में ताक-झांक नहीं होती )
Can it’s meaning be explained please?
दूसरों के secrets जानने की जिज्ञासा ज्यादातर लोगों में होती है।
दरवाजा खोलना यानि ज़रूरमंद, उस समय कोई झांकता तक नहीं है।