तैजस शरीर के उत्कृष्ट संचय 66 सागर (7वें नरक से निकलकर तिर्यंच फिर 7वें नरक), संक्लेश के सदभाव में।
कार्मण शरीर के उत्कृष्ट संचय का स्वामी बहुत बार नरक में जाने वाला 7वें नरक वाला।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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4 Responses
मुनि महाराज जी ने तैजस एवं कार्मण शरीर का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! इस उपदेश को प़त्येक श्रावक को पालन करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
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मुनि महाराज जी ने तैजस एवं कार्मण शरीर का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! इस उपदेश को प़त्येक श्रावक को पालन करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
‘कार्मण’ शरीर के liye ‘उत्कृष्ट’ संचय ’66 सागर’, kyun nahi kaha ?
यह नियम है।
Okay.