तैजस/कार्मण शरीर

तैजस शरीर के उत्कृष्ट संचय 66 सागर (7वें नरक से निकलकर तिर्यंच फिर 7वें नरक), संक्लेश के सदभाव में।
कार्मण शरीर के उत्कृष्ट संचय का स्वामी बहुत बार नरक में जाने वाला 7वें नरक वाला।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Share this on...

4 Responses

  1. मुनि महाराज जी ने तैजस एवं कार्मण शरीर का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! इस उपदेश को प़त्येक श्रावक को पालन करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!

  2. ‘कार्मण’ शरीर के liye ‘उत्कृष्ट’ संचय ’66 सागर’, kyun nahi kaha ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

April 16, 2023

June 2024
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
24252627282930