मन, वचन, काय की दुष्प्रवृत्ति को दंड कहते हैं। इसी से तीन भेद कहे गये हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (शंका समाधान – 46)
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने दंड को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने दंड को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।