दया
“पर” के ऊपर की गयी दया से स्वयं की याद आती है (आत्मा की, उसके दया स्वभाव की)।
जैसे चंद्र पर दृष्टि डालने से, नभ पर भी दृष्टि पड़ती है।
(नभ पर दृष्टि डालने से, चंद्र पर भी दृष्टि पड़ती है)
आचार्य श्री विद्यासागर जी (मूकमाटी)
“पर” के ऊपर की गयी दया से स्वयं की याद आती है (आत्मा की, उसके दया स्वभाव की)।
जैसे चंद्र पर दृष्टि डालने से, नभ पर भी दृष्टि पड़ती है।
(नभ पर दृष्टि डालने से, चंद्र पर भी दृष्टि पड़ती है)
आचार्य श्री विद्यासागर जी (मूकमाटी)
4 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि पर के ऊपर की गई दया से स्वयं की आती है।दया धर्म का मूल सिद्धांत है अतः दया प़त्येक जीव की होना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
That means, opposite is also true viz. ‘swayam/aatma/uske daya swabhav’ par drishti rakhenge, to ‘par’ ke upar bhi daya karenge, right ?
सही, इसीलिए bracket में opposite लिखा गया है।
Okay.