दया

“दया”का उल्टा “याद”
किसकी याद ?
स्वयं की।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

दया शुरु करनी चाहिये स्वयं/ अपने घर से।

मुनि श्री अजितसागर जी

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5 Responses

  1. आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी एवं मुनि श्री अजितसागर महाराज जी ने दया का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। जैन धर्म में दया का महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, अतः दया स्वयं से उसके बाद सभी जीवों पर दया का भाव रहना चाहिए।

  2. दया हृदय में आयेगी,
    करिए निज को याद।
    पूरा निज में डूबिए,
    कुछ न इसके बाद।।

    1. सबसे ज्यादा दुष्टता तो हम अपने पर ही करते हैं, आत्मा का हनन।
      उससे बचने के लिए अपने पर दया करने को कहा है।

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