दान
माताजी से प्रश्न → बड़े-बड़े लोग बड़े-बड़े दान करते हैं, हमें अनुमोदना करनी चाहिये या नहीं? (क्योंकि अधिक धन तो अधिक दोष सहित आता है)
पहले तो माताजी चुप रहीं। दुबारा पूछने पर –
माताजी → दान की क्या अनुमोदना, त्याग की अनुमोदना करो।
आर्यिका श्री विज्ञानमति जी
(सार-सार को गहलयो, थोथा देय उड़ाय)
(अंजू)
9 Responses
आर्यिका श्री विज्ञानमति जी ने दान का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। दान करना पुण्य अर्जित करने में सहायक होता है। जो श्रावक दाम देने में असमर्थ होते हैं तो उनको दान देने वाले की अनुमोदना करना चाहिए ताकि कुछ पुण्य की प़ाप्ति अवश्य हो।
Bracket me diye gaye post ka kya meaning hai,
please ?
दान की अनुमोदन में तो संशय है ही नहीं । संशय तो तभी होगा जब अधिक धन के साथ पाप जुड़ा हो।
त्याग निश्चित है बड़ा
नंबर दो पर दान।
दान में भी त्याग है
इसको तूं पहचान।।
Tyaag aur daan mein kya antar hai?
दान आंशिक/ पात्र की अपेक्षा सहित/ मुख्यतः श्रावकों द्वारा/ बाह्य।
त्याग पूर्ण का/ पात्र निरपेक्ष/ मुख्यतः श्रमणों द्वारा/ अंतरंग ।
इस Item में अंतरंग/ बाह्य ग्रहण करना ।
‘सार-सार को गहलयो, थोथा देय उड़ाय’ ka kya meaning hai, please ?
सूप देखा है ? फटकते समय अनाज अंदर हो जाता छिलके बाहर।
Okay.