दुःख के कारण –
1. अज्ञानता
2. असाता उदय
3. मोह
4. निमित्त से उदीरणा जैसे शरीर देखकर…”मैं बूढ़ा हो रहा हूँ”
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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दुःख- – पीडा रुप आत्मा का परिणाम होना होता है। यह चार प्रकार का होता है,भूख,प्यास आदि से उत्पन्न स्वाभाविक,सर्दी गर्मी आदि से उत्पन्न नैमित्तक दुःख,रोगादिक, वियोग से उत्पन्न मानसिक दुःख होता है अतः जो उदाहरण दिया गया है वह कथन सत्य है।
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दुःख- – पीडा रुप आत्मा का परिणाम होना होता है। यह चार प्रकार का होता है,भूख,प्यास आदि से उत्पन्न स्वाभाविक,सर्दी गर्मी आदि से उत्पन्न नैमित्तक दुःख,रोगादिक, वियोग से उत्पन्न मानसिक दुःख होता है अतः जो उदाहरण दिया गया है वह कथन सत्य है।