दृष्टि
साधु देखते हुए और भी बहुत कुछ देखते हैं,
सुनते हुये और भी बहुत कुछ सुनते हैं जैसे किसी ने “मूर्ख” कहा तो वे ‘म’ ‘ऊ’ ‘र’ ‘ख’ सुनते हैं, इन अक्षरों से न राग होगा न द्वेष।
मुनि श्री सुधासागर जी
साधु देखते हुए और भी बहुत कुछ देखते हैं,
सुनते हुये और भी बहुत कुछ सुनते हैं जैसे किसी ने “मूर्ख” कहा तो वे ‘म’ ‘ऊ’ ‘र’ ‘ख’ सुनते हैं, इन अक्षरों से न राग होगा न द्वेष।
मुनि श्री सुधासागर जी
4 Responses
दृष्टि का मतलब किस नज़र से देखना होता है। प़त्येक जीव की दृष्टि भिन्न भिन्न हो सकती है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि साधुओं की दृष्टि बहुत अलग होती है। साधुओं को मूर्ख कोई कह देता है, लेकिन इसके प्रति राग नहीं होता है। साधुओं को भगवान् के प़ति राग रहता है, यही मोक्ष मार्ग का रास्ता होता है।
Can meaning of “साधु देखते हुए और भी बहुत कुछ देखते हैं” be explained, please ?
जैसे आकर्षक व्यक्तित्व में देह तत्व के साथ आत्मतत्व को देखना।
Okay.