देव-आयु-बंध
देव-आयु-बंध, शुभ-लेश्या के साथ ही होता है ।
मुनि श्री महासागर जी
देव-आयु-बंध, शुभ-लेश्या के साथ ही होता है ।
मुनि श्री महासागर जी
M | T | W | T | F | S | S |
---|---|---|---|---|---|---|
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 |
8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 |
15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 |
22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 |
29 | 30 | 31 |
One Response
लेश्या का मतलब आत्मा का शुभाशुभ कर्मों से लिप्त होना है।यह छह प़कार की होती है, कृष्ण,नील,कपोत यह सब अशुभ होती हैं, जबकि पीत, पद्म और शुक्ल,यह शुभ होती हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि देव आयु बंध,यह शुभ लेश्या के साथ होती है।