मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने दोष के उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए इन सभी दोषों से अलग रहना परम आवश्यक है। Reply
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने दोष के उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए इन सभी दोषों से अलग रहना परम आवश्यक है।
‘शंकित’ ka kya meaning hai, please ?
शंकाएं बनीं रहतीं हैं। जैसे 500 धनुष की अवगाहना !
Okay.