दोष

चल दोष → मंदिर हमने बनवाया है।
मल दोष → शंकित/ भोगों की अकांक्षा।
अगाढ़ दोष → शांति के लिये शांतिनाथ भगवान।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (शंका समाधान – 34)

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4 Responses

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने दोष के उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए इन सभी दोषों से अलग रहना परम आवश्यक है।

    1. शंकाएं बनीं रहतीं हैं। जैसे 500 धनुष की अवगाहना !

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