द्रव्य-इंद्रिय
स्पर्शन → अनेक प्रकार वाली (1 इंद्रिय से 5 तक)।
रसना → खुरपा की Shape, जिव्हा बाह्य उपकरण।
घ्राण → अतिमुक्ता पुष्प (तिल का फूल)।
चक्षु → मसूर दाल।
श्रोत → जौ की नाली।
पाँचों इंद्रियों में निवृत्ति तथा उपकरण भी होते हैं।
आत्मा के द्रव्य से लेकर प्रदेश नियत स्थान पर नियत Shape में जमा नाम कर्म पुदगल वर्गणाओं से द्रव्य-इंद्रियों की रचना होती है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र – 2/32)
4 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने द़व्य इन्द़िय का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
In this context, निवृत्ति तथा उपकरण ka kya meaning hai, please ?
निवृत्ति = रचना
उपकरण = रचना की रक्षा के लिए जैसे पलक।
Okay.