द्रव्य पुजारी,
तत्त्व पूजा,
पदार्थ द्रव्य के भाव को हटाकर पर्याय से जाना जाए।
पदार्थ स्वभाव (जैसे सिद्ध) तथा विभाव भी (संसारी जीव)*।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
*(जैसे डॉक्टर मरीज को “Subject” कहते/ मानते हैं, नाम/रिश्तों से नहीं)
चिंतन
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4 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने द़व्य, तत्व और पदार्थ का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। भगवान् भी सभी प़णियों के लिए डाक्टर ही हैं, अतः सभी को उनके विचारों एवं आदर्शों पर चलना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने द़व्य, तत्व और पदार्थ का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। भगवान् भी सभी प़णियों के लिए डाक्टर ही हैं, अतः सभी को उनके विचारों एवं आदर्शों पर चलना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
‘पदार्थ द्रव्य के भाव को हटाकर पर्याय से जाना जाए।’ Is sentence ka kya meaning hai, please ?
जैसे डाक्टरों के लिए मरीज Subject, ऐसे ही पूजा करने वाला हर व्यक्ति पदार्थ।
Okay.