द्रव्य लिंग

कुछ लोग मुनियों को द्रव्यलिंगी कह कर उनके प्रति अश्रद्धा करते हैं। बस जिनवाणी (वह भी नये पंडितों द्वारा रचित) पर श्रद्धा अधिक करते हैं। तो शास्त्रों को द्रव्य-श्रुत क्यों नहीं कहते ?

मुनि श्री मंगलसागर जी

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6 Responses

  1. मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने द़व्य लिंग की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।

  2. ‘द्रव्य-श्रुत’ kya muniyon ko kaha jaata hai ? Ise clarify karenge, please ?

    1. द्रव्य यानी बाह्य। भाव रहित यानी लोअर गुणस्थान वाले को द्रव्य-लिंगी मुनि कहते हैं। पर अंदर के भाव और गुणस्थान कौन तय करेगा ? ऐसे ही तुम्हें शास्त्र के भावों के बारे में क्या गारंटी तो उसे द्रव्य-श्रुत क्यों नहीं कहते ? उसे तो खाली श्रुत कहते हो!

  3. Iska matlab kisi bhi muni ko ‘द्रव्य-लिंगी’ kehna hi nahi chahiye ? Yeh definition hi kyun banayi phir ? Ise clarify karenge, please ?

    1. 1) जिनका शिथलाचार जाहिर हो।
      तथा
      2) प्रत्यक्ष ज्ञानी भावों को पढ़ कर द्रव्य लिंगी कह सकते हैं।

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