द्रव्य-सम्यग्दर्शन

द्रव्य-लिंगी मुनि के द्रव्य-सम्यग्दर्शन तो होगा क्योंकि वे चर्या निभाते समय जीवों की रक्षा तो कर रहे हैं ना !
पर उनको देखकर दूसरों को भाव-सम्यग्दर्शन भी हो सकता है ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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4 Responses

  1. द़व्य- – गुण और पर्याय के समूह को कहते हैं या जो उत्पाद व्यय और धौव्य से युक्त है, उसे कहते हैं। द़व्य छह होते हैं जीव, पुदगल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल। सम्यग्दर्शन का मतलब सच्चे देव,शास्त्र और गुरु के प्रति श्रद्वान का नाम है अथवा जिनेन्द्र भगवान के द्वारा कहे गए सात तत्त्वों के यथार्थ श्रद्वान को कहते हैं।
    अतः उक्त कथन सत्य है कि द़व्य लिंगी मुनि के द़व्य सम्यग्दर्शन तो होगा क्योंकि वे चर्या निभाते समय जीवों की रक्षा तो करते हैं,पर यह कथन सत्य है कि उनको देखकर दूसरों को भाव सम्यग्दर्शन भी हो सकता है।

    1. द्रव्य-लिंगी मुनि बाह्य-क्रियायें तो करते ही हैं/ प्राणी-संयम/रक्षा करते ही हैं न; इन क्रियाओं के समय जो भाव आते हैं, उसे ही द्रव्य-सम्यग्दर्शन कहते हैं ।

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