धन से क्या क्या मिल सकता है, इस पर तो दृष्टि रहती है,
पर धन आने से क्या क्या खो जाता है, इसका ध्यान नहीं रखते हैं ।
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धनोपार्जन जीवन के लिए आवश्यक है लेकिन इसको जीवन का उद्बेश्य बनाना ग़लत है क्योंकि जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है।पुण्य की वजह से धन तो कमाता है लेकिन वह पाप में लगने से पाप का अर्जन करता है।अतः उचित होगा कि धन को पुण्य के कायोँ में लगाना चाहिए तभी कल्याण होगा।
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धनोपार्जन जीवन के लिए आवश्यक है लेकिन इसको जीवन का उद्बेश्य बनाना ग़लत है क्योंकि जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है।पुण्य की वजह से धन तो कमाता है लेकिन वह पाप में लगने से पाप का अर्जन करता है।अतः उचित होगा कि धन को पुण्य के कायोँ में लगाना चाहिए तभी कल्याण होगा।