धन पाप/पुण्य रूप नहीं होता ।
पाप/पुण्य में उसका उपयोग, उसे पाप/पुण्य रूप बनाता है ।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि धन पाप पुण्य रुप नहीं होता हैं, लेकिन पाप और पुण्य में उसका उपयोग, उसे पाप और पुण्य रुप बनाता है। जैसे धन को परमार्थ क्षेत्र में लगाने पर पुण्य मिल सकता है लेकिन भोगों में लगाने पर पाप की श्रेणी में आता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि धन पाप पुण्य रुप नहीं होता हैं, लेकिन पाप और पुण्य में उसका उपयोग, उसे पाप और पुण्य रुप बनाता है। जैसे धन को परमार्थ क्षेत्र में लगाने पर पुण्य मिल सकता है लेकिन भोगों में लगाने पर पाप की श्रेणी में आता है।