धर्म / अधर्म

अधर्म = बदला लेना,
धर्म = अपने आपको बदल लेना।

आर्यिका श्री पूर्णमती माताजी

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One Response

  1. धर्म का तात्पर्य सम्यग्दर्शन सम्यक्ज्ञान और सम्यग्चारित्र पर श्रद्वान करना होता है।यह संसार के दुखों से बचाकर मोक्ष सुख में पहुंचाता है।इसका साधारण अर्थ है कि अधर्म नहीं करना चाहिए।
    अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि अधर्म का मतलब बदला लेना , जबकि धर्म का मतलब अपने आप को बदल देना होगा।

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