समझदार माँयें बच्चों को उतना ही देती हैं जितने में उनका पालन हो सके, ताकि वे बिगड़ ना जायें ।
पूर्व के पापोदय से धर्मात्मा निर्धन तो हो सकता है, पर दु:खी नहीं ।
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धर्मात्मा वही हो सकता है जो आत्म स्वरुप को पहिचान लेता है एवं अधर्म से बच कर रहे।जो धनवान होते हुए अधर्म करता है, वही निर्धन कह लाता है एवं हमेशा दुखी रहता है।अतः जो लोग धर्म में आस्था रखते हैं वह कभी दुखी नहीं रहते हैं बल्कि हमेशा सुखी रहते हैं जैसे गुरु एवं सच्चे श्रावक।
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धर्मात्मा वही हो सकता है जो आत्म स्वरुप को पहिचान लेता है एवं अधर्म से बच कर रहे।जो धनवान होते हुए अधर्म करता है, वही निर्धन कह लाता है एवं हमेशा दुखी रहता है।अतः जो लोग धर्म में आस्था रखते हैं वह कभी दुखी नहीं रहते हैं बल्कि हमेशा सुखी रहते हैं जैसे गुरु एवं सच्चे श्रावक।