दु:ख में धर्म की ज़रूरत ज्यादा होती है/महत्त्व ज्यादा महसूस होता है।
पंचमकाल/कलयुग में दु:ख बढ़ते ही जा रहे हैं, सो धर्म की प्रासंगिकता बढ़ रही है ।
चिंतन
Share this on...
One Response
धर्म का तात्पर्य जो दुखों को सहने की क्षमता देता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि आजकल लोग दुखी रहते हैं, क्योंकि उनको धर्म का स्वरूप अथवा ज्ञान नहीं होता है। जो लोग धर्म का ज्ञान रखते हैं वह कभी दुखों में विचलित नहीं होते हैं।
One Response
धर्म का तात्पर्य जो दुखों को सहने की क्षमता देता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि आजकल लोग दुखी रहते हैं, क्योंकि उनको धर्म का स्वरूप अथवा ज्ञान नहीं होता है। जो लोग धर्म का ज्ञान रखते हैं वह कभी दुखों में विचलित नहीं होते हैं।