धन, धर्म-प्रभावना में आवश्यक,
धर्म-साधना में बाधक ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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यह कथन सत्य है कि धन धर्म-साधना में बाधक होता है। धन धर्म की प़भावना में सहायक होता है। अतः वैराग्य की भावना में धन का परिग़ह यानी त्याग करना आवश्यक है।
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यह कथन सत्य है कि धन धर्म-साधना में बाधक होता है। धन धर्म की प़भावना में सहायक होता है। अतः वैराग्य की भावना में धन का परिग़ह यानी त्याग करना आवश्यक है।