धर्म

धर्म की राह पर चलने वाला धर्म की फुहार से भीगना चाहिये ।
यदि भीग ना पाये तो कम से कम ठंड़ी ठंड़ी बयार का अनुभव तो होना ही चाहिये ।

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2 Responses

  1. Jai jinendra,

    Thandi bayaar ka anubhav hona chahiye, ye to thik hai. par yadi koi jaanboojh kar vipareet paristhitiyaan bannaye to aise mein sanyam kaise rakhein? Swayam ko bhi us paristhiti jaise hi banne se kaise rokein?? aur apne swabhav ko kaise positive banaayein? please margdarshan karein?

    1. धर्म तथा धर्मात्मा का रोल विपरीत परिस्थितियों में और भी ज्यादा महत्वपूर्ण तथा आवश्यक हो जाता है ।
      धर्मात्मा वह – जो धर्म से भीगा रहता है, उसे मच्छर नहीं काट पाते/उसके शरीर को विषाक्त नहीं कर पाते ।
      यदि आज काटने पर दर्द हो रहा है तो ठंड़ी ब्यार से काम नहीं चलेगा, पूरा भीगना होगा ।
      पर भीगना भी क्षमता के अनुसार ही, वर्ना ज़ुख़ाम होकर बीमार पड़ जाओगे/किसी काम के नहीं रहोगे ।
      क्षमता कम होने पर मच्छरदानी लगालो । यदि मच्छर ज्यादा ताकतवर हैं और मच्छरदानी में भी घुस आते हैं तो रणछोड़ बन जाओ (भग लो),
      पर भावों की संभाल अत्यंत आवश्यक है ।

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