धर्म
धर्म दो प्रकार का –
1. श्रावकों का…. अनुष्ठान की प्रमुखता,
2. श्रमणों (साधुओं) का…. अध्यात्म की प्रमुखता।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
(क्योंकि श्रावकों का मन बहुत भटकता रहता है। पूजा में 8 अर्घों के समय कम से कम 8 बार तो पूजा में मन लगेगा…. गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी)
One Response
अनुष्ठान करने से,नेह धर्म से होय।
श्रमणों के संपर्क से, आतम शुद्धि होय।।