धर्म
धर्म 2 प्रकार का –
व्यक्ति सापेक्ष → सब अपने-अपने भावों को परिष्कृत करते हैं।
वस्तु सापेक्ष → वस्तु का स्वभाव ही धर्म है।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
धर्म 2 प्रकार का –
व्यक्ति सापेक्ष → सब अपने-अपने भावों को परिष्कृत करते हैं।
वस्तु सापेक्ष → वस्तु का स्वभाव ही धर्म है।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने धर्म को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए धर्म से जुडना परम आवश्यक है।