जीवन में जो लोग निंदा करते हैं वह अपना कल्याण नहीं कर सकते हैं लेकिन जो लोग सुन लेते हैं वही लोग अपना कल्याण कर सकता है।इसके अतिरिक्त जो मान सुनकर फूल जाते हैं वह कमजोर होते हैं और अपना कल्याण कभी नहीं कर सकते हैं।अतः जीवन में जो लोग निंदा सुन लेते हैं और मान में सुकून नही करते हैं वही लोग अपना कल्याण मे समर्थ होते हैं।
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जीवन में जो लोग निंदा करते हैं वह अपना कल्याण नहीं कर सकते हैं लेकिन जो लोग सुन लेते हैं वही लोग अपना कल्याण कर सकता है।इसके अतिरिक्त जो मान सुनकर फूल जाते हैं वह कमजोर होते हैं और अपना कल्याण कभी नहीं कर सकते हैं।अतः जीवन में जो लोग निंदा सुन लेते हैं और मान में सुकून नही करते हैं वही लोग अपना कल्याण मे समर्थ होते हैं।