निकट भव्य

आ. पंचमनंदी जी ने – पंचविंशतिका में लिखा है कि हुंड़ावसर्पिणी के पंचम काल में जो जीव अपने आत्म कल्याण में प्रयत्नशील हैं, वह निकट भव्य है तथा कुछ ही भवों में मोक्ष जायेगा ।

पं. रतनलाल बैनाडा जी

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