नित्य का अर्थ ध्रुव है । द्रव्यों का कभी विनाश नहीं होता – यह नित्य है । अनादि पारिणामिक स्वभाव का उदय तथा व्यय नहीं होता – यह ध्रुव है ।
ध्रुव का भाव या कर्म, ध्रौव्य है ; या ध्रुवपने को ध्रौव्य कहते हैं ।
जिनभाषित3/10
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