अनुभवी तैराक के लिये नदी पार करने नाव की आवश्यकता नहीं,
अनाड़ी को लकड़ी का टुकड़ा भी महत्वपूर्ण होता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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3 Responses
जीवन में निमित्त और पुरुषार्थ की सफल होने के लिए बहुत आवश्यकत्ता होती है।पुरुषार्थ यानी चेष्टा या प़यत्न करना होता है, जब कि निमित्त के बिना कार्य पूर्ण नही होता है।अतः यह कथन सत्य है कि अनुभवी तैराक के लिए नदी पार करने के लिए नाव की आवयक्ता नहीं होती है लेकिन अनाड़ी के लिए निमित्त की आवश्यक्ता होती है तभी नदी को पार कर सकता है चाहे लकडी का टुकडा भी हो।
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जीवन में निमित्त और पुरुषार्थ की सफल होने के लिए बहुत आवश्यकत्ता होती है।पुरुषार्थ यानी चेष्टा या प़यत्न करना होता है, जब कि निमित्त के बिना कार्य पूर्ण नही होता है।अतः यह कथन सत्य है कि अनुभवी तैराक के लिए नदी पार करने के लिए नाव की आवयक्ता नहीं होती है लेकिन अनाड़ी के लिए निमित्त की आवश्यक्ता होती है तभी नदी को पार कर सकता है चाहे लकडी का टुकडा भी हो।
Lekin “Nimitt” ki avashyakta to “experienced swimmer” ko bhi padti hai na, in form of water?
यहाँ पर उत्कृष्ट और जघन्य पुरुषार्थी के लिए निमित्त के महत्व को दर्शाया गया है।
वैसे तो धर्म-द्रव्य भी निमित्त है।