आचार्य मानतुंग ने भक्तामर से 48 ताले तोड़ दिए थे, गुरु जी आप Lock-down तोड़ दें !
उन्होंने अपने ताले तोड़े थे, दूसरों के नहीं;
जो खुद तो भोग-विलास में लगे रहें और गुरु उनके लिए साधना करके फल शिष्य के खाते में डाल दें !
मुनि श्री सुधा सागर जी
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निमित्त का मतलब जो कार्य में सहयोगी हो या जिसके बिना कार्य न हो सके उसे कहते हैं।
पुरुषार्थ- -चेष्टा या प़यास करना पुरुषार्थ है, यह चार प्रकार के होते हैं धर्म, अर्थ,काम और मोक्ष। जो पुरुषार्थ धर्म रहित होता था वह अर्थ और संसार बढ़ाने वाला होता है। अतः इससे सिद्ध होता है कि आचार्य मानतुंग ने भक्तामर से 48 ताले तोड़ दिए थे,इसका मुख्य कारण पुरुषार्थ धर्म और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त किया गया था। आज भी गुरुओं की शरण में धर्म सहित पुरुषार्थ करने का प्रयास करेंगे तो इस लौक-डाउन में निकलने में अवश्य सफल होंगे।
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निमित्त का मतलब जो कार्य में सहयोगी हो या जिसके बिना कार्य न हो सके उसे कहते हैं।
पुरुषार्थ- -चेष्टा या प़यास करना पुरुषार्थ है, यह चार प्रकार के होते हैं धर्म, अर्थ,काम और मोक्ष। जो पुरुषार्थ धर्म रहित होता था वह अर्थ और संसार बढ़ाने वाला होता है। अतः इससे सिद्ध होता है कि आचार्य मानतुंग ने भक्तामर से 48 ताले तोड़ दिए थे,इसका मुख्य कारण पुरुषार्थ धर्म और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त किया गया था। आज भी गुरुओं की शरण में धर्म सहित पुरुषार्थ करने का प्रयास करेंगे तो इस लौक-डाउन में निकलने में अवश्य सफल होंगे।