अनंत शक्तिवान सिद्ध भगवान भी पूर्व शरीर के निमित्त से (जो सबसे हीन शक्ति वाला होता है), अनंतकाल तक उसी आकार में बने रहते हैं ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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निमित्त का मतलब जो कार्य के होने में सहयोगी हो या जिसके बिना कार्य न हो। उचित निमित्त के होने पर तदानुसार ही कार्य होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि अनंत शक्तिवान सिद्ध भगवान् भी पूर्व शरीर के निमित्त से ही अनंतकाल तक उसी आकार में बने रहते हैं।
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निमित्त का मतलब जो कार्य के होने में सहयोगी हो या जिसके बिना कार्य न हो। उचित निमित्त के होने पर तदानुसार ही कार्य होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि अनंत शक्तिवान सिद्ध भगवान् भी पूर्व शरीर के निमित्त से ही अनंतकाल तक उसी आकार में बने रहते हैं।