नियति मिथ्या नहीं यदि पुरुषार्थ के साथ उसे स्वीकारें तो।
क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी
Is post ka meaning thoda aur clarify karenge, please ?
बिना पुरुषार्थ के सिर्फ नियति को मानना ‘एकांत’ हुआ और ‘एकांत’, मिथ्यात्व है।
उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। नियति के लिए पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है।
Okay.
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Comment *
Name *
Email *
Website
Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...In order to pass the CAPTCHA please enable JavaScript.
4 Responses
Is post ka meaning thoda aur clarify karenge, please ?
बिना पुरुषार्थ के सिर्फ नियति को मानना ‘एकांत’ हुआ और ‘एकांत’, मिथ्यात्व है।
उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। नियति के लिए पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है।
Okay.