निस्पृहता

बच्चे रेत में बड़ी मेहनत से घरौंदे बनाते हैं, उन्हें प्रेम भी करते हैं, किसी को छूने भी नहीं देते हैं; पर चलते समय ख़ुद ही उसे तोड़कर हँसते हुये चले जाते हैं ।

Share this on...

2 Responses

  1. बच्चों मे निस्पृहता के जो भाव होते हैं, यही भाव हर प्राणी मात्र में होना चाहिए; तभी जीवन का कल्याण होगा। बच्चे भले ही अज्ञानी होते हैं, लेकिन बड़े आजकल ज्ञानी होने के बाद भी, निस्पृहता की कमी के कारण, हमेशा दुखी रहते हैं ।

  2. Humein bachon se seekh leni chahiye ki sansaar mein ultimately sab nashwar hai aur “es dhara ka es dhara pe sab dhara reh jaayega”.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

February 8, 2018

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930