धनोर्पार्जन के 2 तरीके –
1. Any How – धनोर्पार्जन, कैसे भी, Moral Values की चिंता किये बिना ।
2. Know How – धनोर्पार्जन विवेक से, Moral Values का ध्यान रखकर ।
Any How में मुसीबतें भी Any How आती रहतीं हैं, अकारण ।
चिंतन
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धनोपार्जन जैन धर्म के अनुसार अहिंसा युक्त,नीतगति, शोषण रहित एवं प्रामाणिकता होना चाहिए। अतः उक्त कथन सत्य है धनोपार्जन कैसे भी और नीतिगत चिंता रहित कमाते हैं, उनको हमेशा अकारण चिन्ता बनी रहती हैं। अतः जो लोग धनोपार्जन विवेक से और नीतिगत का ध्यान रखकर कमाते हैं उनका जीवन धन्य भव हो जाता हैं। अतः जीवन में धन कमाना आवश्यक है लेकिन नीतिगत तरीके से कमाने से ही कल्याण हो सकता है।
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धनोपार्जन जैन धर्म के अनुसार अहिंसा युक्त,नीतगति, शोषण रहित एवं प्रामाणिकता होना चाहिए। अतः उक्त कथन सत्य है धनोपार्जन कैसे भी और नीतिगत चिंता रहित कमाते हैं, उनको हमेशा अकारण चिन्ता बनी रहती हैं। अतः जो लोग धनोपार्जन विवेक से और नीतिगत का ध्यान रखकर कमाते हैं उनका जीवन धन्य भव हो जाता हैं। अतः जीवन में धन कमाना आवश्यक है लेकिन नीतिगत तरीके से कमाने से ही कल्याण हो सकता है।
Beautiful explanation !!