पर्यूषण-पर्व

इस वर्ष यह पर्व 2 सितम्बर से 11 सितम्बर तक मनाया जायेगा ।
पर्यूषण का मतलब –  जो सब तरफ से पापों को नष्ट करे,
पर्व का मतलब       – अवसर या संधि ( Joint) – जो धर्म करने और ना करने वालों को मिलाने का अवसर दे ।

बरसात में व्यवसाय कम होता है, साधुजन एक स्थान पर रहने लगते हैं (चलने में घास, कीड़े-मकोड़े आदि की हिंसा से बचने के लिये) सो उनके सान्निध्य में धर्मध्यान ख़ूब होता है । इसलिये वर्षाकाल में पर्यूषण -पर्व अधिक उत्साह से मनाया जाता है ।

क्षमा, मार्दव, आर्जव और शौच                      – मन की पवित्रता के लिये ,
सत्य                                                       – वचन की पवित्रता के लिये ,
संयम, तप, त्याग, आकिंचन्य और ब्रम्हचर्य     – काय की पवित्रता के लिये हैं ।

आज का दिन उत्तम क्षमा का है ।
धर्म की शुरूआत क्षमा से ही होती है –
सब जीवों को मैं क्षमा करता हूँ, सब जीव मुझे क्षमा करें ।

शुभकामनायें कि हम सब यह पर्व पूरी क्षमता और उत्साह से मनायें ।

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3 Responses

  1. राग द्वेष, मोह, माया, लोभ, क्रोध, ईर्ष्या, इन कषायों के कारण यदि आपका मन दुखाया हो तो मन, वचन, काय से ‘मिच्छामि दुक्कड़म’ |

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