जिसका परम-अर्थ हो ।
यह अध्यात्म में प्राय: प्रयोग होता है, दूसरों के भले में भी इसका प्रयोग होता है ।
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जीवन में परमार्थ का भाव होना चाहिए, चाहे वह धर्म क्षेत्र में हो या दूसरों के भले के लिए हो।परमार्थ ही जीवन का उदेश्य रखना चाहिए तभी जीवन का कल्याण होगा।
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जीवन में परमार्थ का भाव होना चाहिए, चाहे वह धर्म क्षेत्र में हो या दूसरों के भले के लिए हो।परमार्थ ही जीवन का उदेश्य रखना चाहिए तभी जीवन का कल्याण होगा।