परिकर

पुरानी मूर्तियों में भगवान के चारों ओर परिकर इसलिये ताकि मन भगवान से ज्यादा दूर ना चला जाये।
व्रतों की 5-5 भावनायें/परिकर्म, व्रतों में मन लगाये रखने के लिये।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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8 Responses

  1. परिकर का मतलब मन लगाना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पुरानी मूर्तियों में,यह सब भगवान के चारों ओर परिकर है, ताकि भगवान् से ज्यादा दूर न चला जाए। अतः व़तो की पांच पांच भावनाओं या परिकर्म ,यह व़तो में मन लगाने के लिए होता है। अतः जीवन में कल्याण के प़तेक क़ियायो में मन लगाने का प्रयास करना चाहिए।

    1. मूर्तिओं के चारौ ओर देवी देवताओं आदि की मूर्तियाँ बना दी जाती हैं, उसे परिकर कहते हैं।

    1. मुख्य मूर्ति के चारों ओर परिकर में अन्य छोटी-छोटी मूर्तियाँ/ सजावट, ऐसे ही मुख्य कर्म यानि व्रतों के चारों ओर परिकर्म यानि भावनायें।

    1. जैसे मूर्ति के चारों ओर परिकर, वैसे ही व्रतों को घेरे हुए परिकर्म।
      सो दोनों का अपना-अपना महत्व है।

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