पर्याप्ति/प्राण

1. विग्रह गति में तीन प्राण तो सबके रहते ही हैं (आयु, इंद्रिय – एक , कायबल – कार्मण/तैजस शरीर की अपेक्षा)
2. पर्याप्तियां पूर्ण होते ही बाकी प्राण ( श्वासोच्छ्वास प्राण आदि) आ जाते हैं ।

पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

Share this on...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

January 17, 2012

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930