पाप
पाप तो पहले भी होते थे; आज भी होते हैं।
फ़र्क ?
पहले सिर्फ़ बड़े पाप करते थे; आज वही पाप छोटे भी करने लगे हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
पाप तो पहले भी होते थे; आज भी होते हैं।
फ़र्क ?
पहले सिर्फ़ बड़े पाप करते थे; आज वही पाप छोटे भी करने लगे हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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पाप का मतलब जो आत्मा को शुभ से बचाये वह है, अथवा दूसरों के प्रति अशुभ परिणाम होना भी पाप है।यह पांच प्रकार है, हिंसा, झूठ,चोरी,कुशील,परिग़ह होते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पाप तो पहिले भी होते थे और आज भी होते हैं। इसमें फर्क यही है कि पहिले बड़े पाप करते थे, लेकिन वही छोटे पाप करने लगे हैं। जीवन में चाहे बड़े या छोटे पाप हों उसका फल मिलता रहता है। अतः जीवन में अपना कल्याण करना चाहते हो तो पाप को त्यागने का भाव होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।