पारदर्शिता
सूखे कपड़े पर जहां जहां पानी पड़ जाये, वहां वहां उसकी पारदर्शिता बढ़ जाती है ।
ऐसे ही जब मन भीग जाता है, उसकी भी पारदर्शिता बढ़ जाती है ।
चिंतन
सूखे कपड़े पर जहां जहां पानी पड़ जाये, वहां वहां उसकी पारदर्शिता बढ़ जाती है ।
ऐसे ही जब मन भीग जाता है, उसकी भी पारदर्शिता बढ़ जाती है ।
चिंतन