पुण्यहीन का महत्व
पार्श्वनाथ भगवान पर जब उपसर्ग हुआ तो उन पर छत्र लगाने सबसे पुण्यहीन आये, जो पिछले जन्म में सांप थे (सांप इतना पुण्यहीन होता है कि उसे देखते ही, प्राय: लोग मारने दौड़ते हैं) |
मुनि श्री सुधासागर जी
पार्श्वनाथ भगवान पर जब उपसर्ग हुआ तो उन पर छत्र लगाने सबसे पुण्यहीन आये, जो पिछले जन्म में सांप थे (सांप इतना पुण्यहीन होता है कि उसे देखते ही, प्राय: लोग मारने दौड़ते हैं) |
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
पुण्यहीन का तात्पर्य जिसकी आत्मा पवित्र नहीं है एवं शुभ परिणाम नहीं हैं।
उपरोक्त कथन सत्य है कि जब पार्श्वनाथ भगवान पर उपसर्ग हुआ था तब छत्र के रूप में सांप आया था तभी उनको केवलज्ञान हुआ था। सांप तो पुण्यहीन होते हैं,इसको ज्यादातर मारने दौडते हैं।मारना हिंसा का रुप है।