क्या आपके पुण्य का सम्बंध, आपके प्रियजन के जाने से है ?
नहीं, तो उसे पुण्य-तिथि क्यों कहते हो !!
इसे वैराग्य तिथि मानें (संसार की नश्वरता का ध्यान रखते हुये)
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उपरोक्त कथन बिलकुल सही है। आजकल मरने के बाद पुण्य तिथि से ही मनाते आ रहे हैं। जबकि पुण्य जो आत्मा को पवित्र करता है। आत्मा को पवित्र के लिए दया दान पूजा आदि के शुभ परिणाम को पुण्य कहते हैं। अतः बेराग्य दिवस अथवा मुक्ति दिवस के रूप में मनाना चाहिए।
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उपरोक्त कथन बिलकुल सही है। आजकल मरने के बाद पुण्य तिथि से ही मनाते आ रहे हैं। जबकि पुण्य जो आत्मा को पवित्र करता है। आत्मा को पवित्र के लिए दया दान पूजा आदि के शुभ परिणाम को पुण्य कहते हैं। अतः बेराग्य दिवस अथवा मुक्ति दिवस के रूप में मनाना चाहिए।