पुण्य / धर्म
रावण का पुण्य ज्यादा था, धर्म कम।
राम/ लक्ष्मण का पुण्य कम था, धर्म ज्यादा, इसीलिये विजयी हुए।
क्षु. श्री विवेकानन्दसागर जी
रावण का पुण्य ज्यादा था, धर्म कम।
राम/ लक्ष्मण का पुण्य कम था, धर्म ज्यादा, इसीलिये विजयी हुए।
क्षु. श्री विवेकानन्दसागर जी
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One Response
पुण्य एवं धर्म का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए धर्म धारण करना परम आवश्यक है ताकि धर्म की विजय होती है।